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मेजर प्रमिला सिंह: जीवदया को समर्पित एक महिला, सैनिक और भविष्यवेत्ता


कोरोना महामारी में जब दुनियाभर में लोग अपने घरों में कैद हो गए थे तो थाईलैंड की एक तस्वीर ने सबका ध्यान आकर्षित किया। भूख से तड़पते सैकड़ों बंदर सड़कों पर आ गए थे। उस दृश्य को देखकर कई लोगों ने यह महसूस किया कि इन्सान कितना स्वार्थी है! उसे अपने पेट की तो फिक्र है, लेकिन जब कोई संकट आता है तो दूसरों, खासतौर से जानवरों की तकलीफ को भूल जाता है।  

हमने भारत में भी ऐसे दृश्य देखे, जब गाय, बिल्ली, श्वान (dog), बंदर जैसे कई जानवरों को भोजन के लिए परेशान होना पड़ा। उस दौरान भारतीय सेना से सेवानिवृत्त, राजस्थान की एक बेटी ने अपने पिता के साथ मोर्चा संभाला और शहर में कई जानवरों तक खाना पहुंचाया। जब किसी जानवर को तकलीफ में देखा, तो उसे चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई।

इनका नाम है मेजर प्रमिला सिंह। राजस्थान के कोटा शहर से ताल्लुक रखने वाली प्रमिला की कहानी कम दिलचस्प नहीं है। एक ओर जहां वे भारतीय सेना की इंजीनियर कोर में सेवा दे चुकी हैं, वहीं अब सेवानिवृत्ति के बाद ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन के साथ अपना अधिकांश समय जीवदया और सेवा को समर्पित कर रही हैं।

मेजर प्रमिला बताती हैं कि मैं कोई एनजीओ नहीं हूं और न किसी से दान लेना पसंद करती हूं। इस कार्य के लिए पिताजी श्यामवीर सिंह की पेंशन और अपने संसाधनों से ही राशि का प्रबंध करती हैं। श्यामवीर सिंह जलदाय विभाग से वरिष्ठ इंजीनियर के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जबकि माता विजयेंद्री देवी आयुर्वेद चिकित्सक हैं।

प्रमिला लोगों को टैरोकार्ड, ज्योतिष और वास्तु संबंधी सलाह देती हैं। इसके एवज में जो सहयोग राशि मिलती है, उसे इन जीवों पर खर्च कर देती हैं।

प्रमिला बताती हैं कि उन्हें इस कार्य की प्रेरणा पिताजी से मिली जो पिछले तीन दशक से ज्यादा समय इन जीवों को अर्पित कर चुके हैं। सेना जैसे सख्त कार्य क्षेत्र से जानवरों की सेवा, उनकी तकलीफें दूर करना और ज्योतिष की ओर आना कैसे हुआ? इस पर प्रमिला ने बताया कि सैन्य सेवा का असल मकसद दूसरों की समस्याओं को समझना और समाधान करना है। जयपुर से कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद जब वे मार्च 2009 में सेना में शामिल हुईं तो वहां उन्हें यही सिखाया गया कि हमारा हर कार्य मानवता की रक्षा के लिए है।

इस दौरान उनका कई जगह तबादला हुआ। उन्होंने महसूस किया कि भारत को प्रकृति का विशेष वरदान प्राप्त है। अगर प्रकृति को समझें तो हम कई समस्याओं का समाधान तलाश सकते हैं। प्रकृति कई तरह से संकेत देती है। वर्षा, भूकंप, ज्वालामुखी, अकाल और ऐसी अनेक घटनाओं के बारे में प्रकृति के इशारे जानकर समझ सकते हैं कि वह क्या कहना चाहती है।

उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि चिड़िया, सांप, श्वान जैसे जीव भूकंपीय हलचल को जल्दी भांप लेते हैं। वर्षा से पहले चींटिया अपने आवास को सुरक्षित बनाने में जुट जाती हैं। ज्योतिष भी प्रकृति के संकेतों को समझने का विज्ञान है। जो व्यक्ति प्रकृति के साथ जितनी गहराई से जुड़ा होता है, वह अपनी इंद्रियों से भविष्य की हलचल को उतनी ही गंभीरता से महसूस कर सकता है।

मेजर प्रमिला के अनुसार, उनमें बचपन से प्रकृति के साथ जुड़ने की प्रवृत्ति रही है। वे इसे प्रकृति की ओर से भविष्य का संकेत मानती हैं। उन्होंने बताया कि आप एक जानवर की आंखों में देखकर बता सकते हैं कि उसे कोई तकलीफ है या नहीं। इसी प्रकार चिड़ियों की चहचहाहट यह बता देती है कि वे खुशी महसूस कर रही हैं या गंभीर संकट में हैं। हमारे प्राचीन शास्त्रों में ऐसी कई घटनाओं का उल्लेख मिलता है जिनसे पता चलता है कि उन लोगों का प्रकृति के साथ कितना गहरा संबंध था।

मेजर प्रमिला बताती हैं कि उनकी अनेक भविष्यवाणियां सत्य हुई हैं। वे इसे अपनी प्रतिभा नहीं, बल्कि उन जीवों का आशीर्वाद मानती हैं जिनकी वे सेवा कर रही हैं। यही वजह है कि जो पहली बार उत्सुकतावश उनके पास आता है, वह दूसरी बार जरूर संपर्क करना चाहता है। इनमें भारत ही नहीं, विदेशों से भी लोग शामिल हैं।  

प्रमिला बताती हैं कि वे किसी पुरस्कार, आर्थिक लाभ, प्रचार के लिए यह काम नहीं कर रहीं। यही वजह है कि वे कोई दान, आर्थिक सहायता नहीं लेतीं। उनके अनुसार, प्रकृति ने मुझे जो शक्ति दी है, उसका सदुपयोग करते हुए अपने जीवन का हर क्षण जीवदया के लिए समर्पित करना चाहती हूं। अगर मेरे कर्मों से उनमें से किसी की भी तकलीफें कम हुईं, तो इस प्रयास को सफल समझूंगी।

(ओपोयी डॉट कॉम पर प्रकाशित)

मेजर प्रमिला सिंह से संपर्क के लिए मो. नं. 8289027288 पर वॉट्सऐप और 8761993007 पर कॉल कर सकते हैं। आप उनका फेसबुक पेज लाइक कर सकते हैं। 

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